भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. रक्षा मंत्रालय (MoD) ने भारत फोर्ज लिमिटेड, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड (AVNL), फोर्स मोटर्स लिमिटेड और महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के साथ कुल मिलकर 9,400 करोड़ रुपये के रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं.
इन सौदों के तहत ATAGS (155mm/52 कैलिबर एडवांस्ड टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम), NAMIS (नाग मिसाइल सिस्टम – ट्रैक्ड वर्जन) और 5,000 हल्के सैन्य वाहन भारतीय सेना को दिए जाएंगे. ये रक्षा उपकरण भारत की आर्टिलरी और एंटी-टैंक क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे और चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों को कड़ा संदेश देंगे.
भारत-चीन सीमा पर बढ़ती चुनौतियां और ATAGS की भूमिका
भारत और चीन के बीच LAC पर हाल के सालों में लगातार तनाव देखा गया है. डोकलाम विवाद (2017) और गलवान घाटी संघर्ष (2020) के बाद से भारत अपनी सैन्य तैयारियों को लगातार मजबूत कर रहा है. ATAGS 155 mm 52 कैलिबर वाली इस तोप से 15 सेकंड में 3 राउंड गोले दागे जा सकते हैं.
यह तोप प्रणाली हिमालयी इलाकों में तैनाती के लिए एक दमदार हथियार है. इसकी 48 किलोमीटर की मारक क्षमता और सटीक लक्ष्य भेदन की क्षमता इसे चीन की PLA के खिलाफ एक महत्वपूर्ण रणनीतिक हथियार बनाती है.
ATAGS का भारत-चीन विवाद में महत्व
लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में प्रभावी तैनाती: यह तोप दुर्गम पहाड़ी इलाकों में भी दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमला करने में सक्षम है.
सटीकता और उच्च घातकता: इसकी उन्नत फायर कंट्रोल सिस्टम चीन की सेना की मजबूत बंकर लाइन को भेदने की क्षमता रखते हैं.
स्वदेशी निर्माण: चीन के खिलाफ आत्मनिर्भर भारत की एक बड़ी जीत, जिससे भारत को आयात पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.
155mm/52 कैलिबर ATAGS भारतीय सेना की पुरानी और छोटी कैलिबर की तोपों की जगह लेगी, जिससे आर्टिलरी रेजिमेंट की मारक क्षमता में बढ़ोतरी होगी. यह अत्याधुनिक तोप प्रणाली लंबी दूरी और सटीकता से हमले करने की क्षमता रखती है, जिससे भारतीय सेना की फायरपावर में भारी इजाफा होगा.
ATAGS की यह खरीद भारतीय सेना द्वारा निजी क्षेत्र से पहली प्रमुख तोपखाना खरीद है,यह तोप प्रणाली DRDO द्वारा विकसित की गई है और इसे टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) और भारत फोर्ज लिमिटेड (BFL) के सहयोग से निर्मित किया गया है.
307 अत्याधुनिक ATAGS तोपों को शामिल करने का निर्णय मॉडर्नाइजेशन थ्रू मीडियमाइजेशन रणनीति के तहत लिया गया है. यह दुनिया की एकमात्र ऐसी तोप है जो इलेक्ट्रिक ड्राइव से संचालित होती है.
रेंज और सटीकता: ATAGS 40+ किलोमीटर तक मार कर सकती है और इसमें उच्च स्तर की सटीकता है.
तेज़ फायरिंग क्षमता: यह तोप 5 राउंड प्रति मिनट की दर से गोलाबारी कर सकती है और 60 मिनट में 60 राउंड दागने की क्षमता रखती है.
गोला-बारूद: यह तोप 155mm के सभी प्रकार के गोले दागने में सक्षम है, जिनमें हाई एक्सप्लोसिव, प्रिसिजन गाइडेड, स्मोक और इल्यूमिनेशन शेल्स शामिल हैं.
स्वायत्त संचालन: यह तोप बिना कमांड पोस्ट के भी कार्य कर सकती है और इसमें शूट एंड स्कूट तकनीक है, जिससे दुश्मन के जवाबी हमले से बचा जा सकता है.
मल्टी-टेरेन ऑपरेशन: यह तोप सभी प्रकार की भौगोलिक परिस्थितियों में काम करने में सक्षम है.
80% स्वदेशीकरण: ATAGS में 80% से अधिक स्वदेशी घटक हैं, जिससे यह पूरी तरह से मेड इन इंडिया हथियार प्रणाली बन जाती है.
ATAGS को पहली बार 2017 गणतंत्र दिवस परेड में प्रदर्शित किया गया था, जिससे भारत की रक्षा निर्माण क्षमताओं का प्रदर्शन हुआ. यह 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में तोपों की सलामी देने वाली पहली स्वदेशी तोप भी बनी थी.
भारत-पाकिस्तान संघर्ष और NAMIS एंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम
भारत और पाकिस्तान के बीच LoC पर अक्सर संघर्ष होते रहते हैं. पाकिस्तान की सेना और आतंकी संगठनों के पास चीन निर्मित टैंकों और बख्तरबंद वाहन है. भारतीय सेना की ओर से खरीदे गए NAMIS (Tr) एंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम दुश्मन की होश उड़ाने के लिए एक काफी हैं.
फायर एंड फॉरगेट तकनीक: दुश्मन के टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को सटीक निशाने पर लेने की क्षमता.
ऑटोमेटिक टार्गेटिंग सिस्टम: ऑपरेशन के दौरान सैनिकों को कम जोखिम और अधिक प्रभावी हमले का लाभ.
बॉर्डर इलाकों में तैनाती: LoC पर पाकिस्तान के हैवी टैंकों और बंकर सिस्टम को नष्ट करने में सहायक.
NAMIS सिस्टम पाकिस्तान की सेना की चीन निर्मित VT-4 टैंकों और अलक़ालिद टैंकों के खिलाफ एक प्रभावी जवाब है.
5,000 हल्के सैन्य वाहन, सेना को देगी रफ्तार
चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ लगने वाली सीमाओं पर ऊबड़-खाबड़ भू-भाग हैं, जहां सैन्य वाहनों की गति और क्षमता महत्वपूर्ण होती है. इन 5,000 हल्के सैन्य वाहनों में अत्याधुनिक इंजन तकनीक और 800 किलोग्राम पेलोड क्षमता है, जिससे यह सैनिकों और हथियारों को किसी भी कठिन इलाकों में तेजी से पहुंचाने में सक्षम होंगे.
हल्के सैन्य वाहनों का रणनीतिक महत्व
- लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में त्वरित सेना तैनाती
- LoC पर आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहायता
- स्पेशल फोर्सेज और पैराट्रूपर्स के लिए अधिक गतिशीलता
चीन और पाकिस्तान को कड़ा संदेश
भारत की यह नई रक्षा खरीद चीन और पाकिस्तान के लिए स्पष्ट संदेश है कि भारत अब अपने रक्षा उपकरणों के लिए आत्मनिर्भर बन रहा है और उसे किसी विदेशी सहायता की जरूरत नहीं है, बल्कि भारत में बनाने वाले हथियार दुनिया की कई महाशक्तियों की पहली पसंद बन रहे हैं. भारत की इस तैयारी ने दुश्मन को कड़ा संदेश भी दिया.
चीन को दिखाया कि भारत सिर्फ रक्षा नहीं कर रहा, बल्कि युद्ध के लिए तैयार हो रहा है.
पाकिस्तान को संकेत दिया कि उसकी बख्तरबंद युद्ध रणनीति को भारत पहले से ज्यादा ताकतवर तरीके से जवाब देगा.
स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देकर भारत ने Aatmanirbhar Bharat अभियान को आगे बढ़ाया है.